क्यों नहीं मिल सकते भारत को अच्छे नेता? || (2021)

January 27, 2022 | आचार्य प्रशांत

आचार्य प्रशांत: प्रश्न है कि “क्यों नहीं मिल सकते भारत को अच्छे नेता?”

यहाँ ‘नेता’ लिखा है, मैं समझता हूँ कि राजनैतिक क्षेत्र की बात की जा रही है, तो राजनेताओं की ही बात की जा रही होगी; क्योंकि नेतृत्व तो वरना किसी भी क्षेत्र में हो सकता है, पर यहाँ पर शायद पॉलिटिकल (राजनैतिक) क्षेत्र की ही बात हो रही है।

देखो, जनतंत्र है भई! यहाँ पर ऐसा तो है नहीं कि कोई ताक़त के दम पर या अपनी फ़ौज के दम पर आ कर के चढ़ बैठता है और तुम्हारा मुखिया बन जाता है या प्रधान बन जाता है, यहाँ तो गद्दी उसको ही मिलती है जिसको तुम चुनते हो। तो एक बहुत प्रसिद्ध (वक्तव्य), अंग्रेज़ी में है, कि “पीपल गेट द लीडर्स दे डिज़र्व।” (लोग जैसे होते हैं, उन्हें उसी तरह का नेता मिलता है) और ये बात लोकतंत्र में तो शत-प्रतिशत लागू होती है। तो ये प्रश्न कैसा है फिर, कि “क्यों नहीं मिल सकते भारत को अच्छे नेता”?

भारतीय जैसे हैं, भारतीयों को वैसे नेता मिल जाते हैं। नेता कोई धाँधली कर के तो सत्ता पर काबिज़ होते नहीं, बाक़ायदा मतगणना होती है; जिसको ज़्यादा मिले हैं वोट उसको गद्दी मिल जाती है। तो आप ही तो दे रहे हैं, और आप भारतीय हैं; आप जिस आधार पर मत अपना दर्ज़ कराते हैं, उसी तरीके से लोग सत्ता पर पहुँच जाते हैं।


ap

आचार्य प्रशांत एक लेखक, वेदांत मर्मज्ञ, एवं प्रशांतअद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक हैं। बेलगाम उपभोगतावाद, बढ़ती व्यापारिकता और आध्यात्मिकता के निरन्तर पतन के बीच, आचार्य प्रशांत 10,000 से अधिक वीडिओज़ के ज़रिए एक नायाब आध्यात्मिक क्रांति कर रहे हैं।

आई.आई.टी. दिल्ली एवं आई.आई.एम अहमदाबाद के अलमनस आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं। अधिक जानें

सुझाव