प्रश्नकर्ता: आज शिविर में वज्रसूचिकोपनिषद् का पाठ किया तो जाना कि सचमुच में ब्राह्मण कौन होता है। आजतक लगता था कि ब्राह्मण जन्म या जाति के आधार पर बनते हैं; आज वो धारणा टूट रही है। ब्राह्मण कौन होता है, आचार्य जी? और स्पष्ट करें।
आचार्य प्रशांत: पहले तो मैं पढ़ ही देता हूँ, ये वज्रसूचि उपनिषद् है। इसको पढ़ना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि बड़ा भ्रम है, बड़े अंधविश्वास हैं, बहुत सारी व्यर्थ की मान्यताएँ हैं। जो लोग अपने-आपको ब्राह्मण कहते हैं, उनमें ये मान्यता है कि वो किसी ब्राह्मण घर में पैदा हो गए हैं तो ब्राह्मण कहला सकते हैं। इससे ज़्यादा भ्रामक मान्यता दूसरी हो नहीं सकती।
और दूसरी ओर वो लोग हैं जो कहते हैं कि भारतीय शास्त्र, सनातन धर्म के शास्त्र तो सब एक शोषक वर्ण व्यवस्था की पैरोकारी करते हैं, कि शास्त्रों में ही उल्लिखित है की जातियाँ जन्म से बनेगी; और कौन-सी जाति ऊँची कहलाएगी, कौन-सी नीची कहलाएगी; और ऊँची जाति नीची जाति का उत्पीड़न करेगी। बार-बार मनुस्मृति आती है, किताबों का हवाला दिया जाता है। बार-बार ये साबित करने की कोशिश की जाती है कि ये देखो हिंदुओं के तो सारे ग्रंथ ही एक व्यवस्था के हिमायती हैं।
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आचार्य प्रशांत एक लेखक, वेदांत मर्मज्ञ, एवं प्रशांतअद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक हैं। बेलगाम उपभोगतावाद, बढ़ती व्यापारिकता और आध्यात्मिकता के निरन्तर पतन के बीच, आचार्य प्रशांत 10,000 से अधिक वीडिओज़ के ज़रिए एक नायाब आध्यात्मिक क्रांति कर रहे हैं।
आई.आई.टी. दिल्ली एवं आई.आई.एम अहमदाबाद के अलमनस आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं। अधिक जानें
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