प्रश्न: आचार्य जी, किसी से नफ़रत उठे तो उसे कैसे दूर करें?
आचार्य प्रशांत जी:
कभी किसी से बड़ी नफ़रत उठे, तो एक सूत्र बताए देता हूँ।
अपनी नफ़रत को, और अपने अहंकार को थोड़ी देर किनारे रखकर उससे एक घण्टे बात कर लेना।
फिर नफ़रत कर नहीं पाओगे और ज़्यादा।
इसीलिए जिन्हें नफ़रत कायम रखनी होती है वो पहला काम ये करते हैं कि वो बात करना बंद कर देते हैं, संपर्क तोड़ लेते हैं। कहते हैं, “हम सामने ही नहीं पड़ेंगे।” सामने न पड़ने से बड़ी सुविधा रहती है। तुम दूसरे के बारे में बड़ी कल्पनाएँ कर पाते हो।
वो सामने पड़ जाए, तुम्हारी नफ़रत गिर जाएगी। तुमने कभी देखा है, तुम जिनसे चाहते हो नफ़रत करना, तुम उनसे तत्काल नाता तोड़ते हो। “इनके सामने ही नहीं पड़ेंगे, इनकी शक्ल ही नहीं देखेंगे।” ये कुछ नहीं है, ये भीतर की गंदी, आदिम वृत्ति है। आत्मघाती अहंता है।
नफ़रत हटाने का सीधा उपाय यही है – जाओ बात कर लो।
एक घण्टा बात कर लोगे, कोई बड़ी बात नहीं फूट-फूट कर रो पड़ो।
तुम भी रो रहे हो, वो भी रो रहा है।
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आचार्य प्रशांत एक लेखक, वेदांत मर्मज्ञ, एवं प्रशांतअद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक हैं। बेलगाम उपभोगतावाद, बढ़ती व्यापारिकता और आध्यात्मिकता के निरन्तर पतन के बीच, आचार्य प्रशांत 10,000 से अधिक वीडिओज़ के ज़रिए एक नायाब आध्यात्मिक क्रांति कर रहे हैं।
आई.आई.टी. दिल्ली एवं आई.आई.एम अहमदाबाद के अलमनस आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं। अधिक जानें
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