July 13, 2014 | आचार्य प्रशांत
साहब नज़र रखना, मौला नज़र रखना
तेरा करम सबको मिले, सबकी फ़िक्र रखना
न आदमी की आदमी झेले गुलामियाँ,
न आदमी से आदमी मांगे सलामियाँ
जो फ़र्क पैदा हो रहे, वो फ़र्क गर्क हों
सबको बराबर बाँट, ये धरती ये आसमान
कोई भी न हो दर्द में, सबकी ख़बर रखना
प्रश्न: सर, कृपया इस गाने का अर्थ बताईये।
उत्तर: भास्कर,
हमें लगातार लगता रहता है कि हमारे करे हो रहा है। हम खुद को डूअर – कर्ता – माने रहते हैं.ध्यान से देखें तो मन की दो स्थितियां हैं:
१. यांत्रिक- कंडीशन्ड। इस स्थिति में निश्चित रूप से हम कुछ नहीं कर रहे। जो कर रही है, हमारी प्रोग्रामिंग कर रही है.
२. बोधयुक्त – इंटेलिजेंट। इस स्थिति में भी हम कुछ नहीं कर रहे। जो हो रहा है, वो स्वतः हो रहा है।
इसलिए, समझने वालों ने कहा है कि हम कुछ नहीं करते, करने वाला कोई और है। चूंकि उसके होने से सब है, उसके करने से सारे कर्म हैँ, इसलिये उसे साहब कहा जाता है.
आचार्य प्रशांत एक लेखक, वेदांत मर्मज्ञ, एवं प्रशांतअद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक हैं। बेलगाम उपभोगतावाद, बढ़ती व्यापारिकता और आध्यात्मिकता के निरन्तर पतन के बीच, आचार्य प्रशांत 10,000 से अधिक वीडिओज़ के ज़रिए एक नायाब आध्यात्मिक क्रांति कर रहे हैं।
आई.आई.टी. दिल्ली एवं आई.आई.एम अहमदाबाद के अलमनस आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं। अधिक जानें
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