January 8, 2022 | आचार्य प्रशांत
आचार्य प्रशांत: फिर देवी का और दैत्यों का संग्राम होता है और वो संग्राम बड़े विस्तार के साथ वर्णित है पूरे मध्यम चरित्र में। कि दैत्यों के इस सेनापति ने हमला किया तो देवी ने फिर कैसे उसको परास्त किया, वो किन-किन अस्त्रों का प्रयोग करके देवी पर आघात कर रहा था तो फिर देवी ने किन अस्त्रों का प्रयोग किया, उसने कैसे आसमान में उछल करके शूल फेंका तो फिर देवी ने शूल फेंका, फिर उसने देवी की बाँह पर तलवार मारी तो तलवार टूट गई। ये सब जो पूरा वर्णन है, ये सब विस्तार है।
जब देवी ने प्रकट हो करके गर्जन करा तो उस सिंहनाद के विषय में कहा गया है कि आकाश उसके सामने लघु प्रतीत होने लगा।
"बड़े ज़ोर की प्रतिध्वनि हुई जिससे सम्पूर्ण विश्व में हलचल मच गई, समुद्र काँप उठे, पृथ्वी डोलने लगी, पर्वत हिलने लगे। तो देवताओं ने फिर बड़ी प्रसन्नता से सिंहवाहिनी भवानी से कहा, 'देवी तुम्हारी जय हो', और महर्षियों ने भक्ति भाव से विनम्र होकर उनकी स्तुति करी।"
"दैत्यों को जब पता चला कि देवी का इस प्रकार प्रादुर्भाव हुआ है तो वे अपनी समस्त सेना को कवच आदि से सुसज्जित कर, हाथों में हथियार ले, सहसा उठकर खड़े हो गए।"
"महिषासुर ने बड़े क्रोध में आकर कहा, 'यह क्या हो रहा है?' फिर वह सम्पूर्ण असुरों से घिरकर उस सिंहनाद की ओर लक्ष्य करके दौड़ा और उसने वहाँ पहुँचकर देवी को देखा जो अपनी प्रभा से तीनों लोकों को प्रकाशित कर रही थीं, उनके चरणों के भार से पृथ्वी दबी जा रही थी, माथे के मुकुट से आकाश में रेखा सी खिंच रही थी और वे अपनी धनुष की टंकार से सातों पातालों को क्षुब्ध किए देती थीं। देवी अपनी हज़ारों भुजाओं से संपूर्ण दिशाओं को आच्छादित करके खड़ी थीं। तदनन्तर उनके साथ दैत्यों का युद्ध छिड़ गया। नाना प्रकार के अस्त्र शस्त्रों के प्रहार से सम्पूर्ण दिशाएं उद्भासित होने लगीं।"
आचार्य प्रशांत एक लेखक, वेदांत मर्मज्ञ, एवं प्रशांतअद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक हैं। बेलगाम उपभोगतावाद, बढ़ती व्यापारिकता और आध्यात्मिकता के निरन्तर पतन के बीच, आचार्य प्रशांत 10,000 से अधिक वीडिओज़ के ज़रिए एक नायाब आध्यात्मिक क्रांति कर रहे हैं।
आई.आई.टी. दिल्ली एवं आई.आई.एम अहमदाबाद के अलमनस आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं। अधिक जानें
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