स्तुति करने का क्या अर्थ है? || श्रीदुर्गासप्तशती पर (2021)

January 17, 2022 | आचार्य प्रशांत

आचार्य प्रशांत: देवता सब पहुँचे हुए हैं, कहाँ पर? हिमालय पर और गंगा जी के तट पर। वहाँ वो देवी की स्तुति कर रहे हैं। तो बहुत कुछ है जो कहते हैं देवता, उसमें जो देवी मंत्र है, देवी सूत्र है, उसको हम पढ़ते हैं और विचारते हैं —

"जो देवी सब प्राणियों में चेतना कहलाती हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है। जो देवी सब प्राणियों में बुद्धि रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है। जो देवी सब प्राणियों में निद्रा रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है। जो देवी सब प्राणियों में क्षुधा रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है। जो देवी सब प्राणियों में छाया रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है। जो देवी सब प्राणियों में शक्ति रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है। जो देवी सब प्राणियों में तृष्णा रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है। जो देवी सब प्राणियों में क्षांति माने क्षमा रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है। जो देवी सब प्राणियों में जाति रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है। जो देवी सब प्राणियों में लज्जा रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है। जो देवी सब प्राणियों में शांति रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है। जो देवी सब प्राणियों में श्रद्धा रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है।


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आचार्य प्रशांत एक लेखक, वेदांत मर्मज्ञ, एवं प्रशांतअद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक हैं। बेलगाम उपभोगतावाद, बढ़ती व्यापारिकता और आध्यात्मिकता के निरन्तर पतन के बीच, आचार्य प्रशांत 10,000 से अधिक वीडिओज़ के ज़रिए एक नायाब आध्यात्मिक क्रांति कर रहे हैं।

आई.आई.टी. दिल्ली एवं आई.आई.एम अहमदाबाद के अलमनस आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं। अधिक जानें

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